आज थियेटर में संजू चीखेगा की वो आतंकवादी नही है।
इससे पहले हम देख चुके की दाऊद भी आतंकवादी नही था। बस एक महत्वाकांक्षी बालक था। याकूब मेमन तो बस एक व्यापारी था। यासीन भटकल इंजिनीअर है जिसे नौकरी नही मिली। और बुरहान वाणी 90 बलात्कार और 100 से ज्यादा हत्या के बाद भी एक हेडमास्टर का बेटा है।
दुर्दशा ये है कि हम ऐसे लोगो को ग्लोरीफाई कट रहे जिनका अपराध उनकी इच्छा है। उनका नशा है। हम उस अपराध में एक उत्तेजना और एक न्यायपाल्य कारक खोज रहे। यह उनकी अहम की तुष्टि का नमूना है।
ऐसे हीरो हमे कहाँ ले जाएंगे। क्या हम बच्चों से कह रहे कि बेटा देखो तुम हमेशा हीरो रहोगे । तुम्हारे साथ सब अच्छा हुआ तो ठीक। नही तो तुम बुरे बन जाना।
यह नरगिस का बेटा है। नरगिस का एक बेटा मदर इंडिया में भी था। जिसे उसने गोली मार दी।
माता अहिल्या बाई होलकर और बहादुर कलारिन ने ऐसा रियल लाइफ में किया।
अब हमारे लिए बेटे अहम है।
और फिर हम सवाल करते है। कि भला समाज ऐसा क्यों है।