कौन है वह कम्बख़्त।
इंदिरा गाँधी के प्रथम कार्यकाल के बाद, मोरारजी देसाई और जगजीवनराम राजघाट पहुँचे, आशीर्वाद लिया। मोरारजी प्रधानमंत्री बने। जगजीवन राम ने दलित संघर्ष का मार्ग लिया। जगजीवनराम से बाबू जगजीवन राम बन गए और जब स्वर्गीय बाबू जगजीवन राम बने तो दलितों की बस्ती उजाड़ वहाँ स्मारक बना।
तब से परम्परा है कि दलित जब ऊपर जाता है । वो चेहरा बन जाता है। बाकी के दलित शरीर के बाकी अंग। मायावती पर ऊँगली नहीं उठायी जा सकती। काशीराम जांघ में हाथ मारकर किसी की बेटी का नाम ले सकते हैं। ये चेहरा है, बाकी के दलित इनका अंग।
पुरुष सूक्त याद है।
राजन्य: कृत: ब्राह्मणोऽस्य मुखामासीद्वाहू।
ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत।
बिल्कुल उसी तरह। 70 साल में हर वर्ग के भीतर चार वर्ग बन गए है।
विडम्बना यह है कि हर वर्ग अपनी चिंता कर रहा। निचला वर्ग पिस रहा।
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