गुरुवार, 23 मई 2019

पाकिस्तान चले जाओ।

पिछले पाँच साल में एक वाक्य बहुत इस्तेमाल हुआ । पाकिस्तान चले जाओ।

पाकिस्तान बनने के पीछे जो कारण था , वह यही था कि जिन्हें इस बात पर भरोसा नही की भारतीय लोकतंत्र में( यह बात स्पष्ट थी कि भारत में लोकतंत्र ही आएगा) आस्था नही, जिन्हें लगता है कि भारत की बड़ी आबादी उनके साथ न्याय नही करेगी, जिन्हें लगता है कि भारतीय जनता अपने लिए सही नेता चुनने में और सही खतरों को पहचानने में अक्षम है , उनके लिए एक अलग देश की व्यवस्था की गयी।

       उस देश मे सारे प्रयोग हुए जो एक भारतीय वामपंथी लिबरल की इच्छा है। वहां लोकतंत्र आया, फिर कॉमरेडों ने तख्त पलटे, सैनिक शासन भी आया, तानाशाह होने के आरोप में एक चुने हुए नेता को सरेआम फाँसी दी गयी। हजारो मंदिर तोड़े गये, गंगा जमुना तहजीब की थाती बनी। समांतर रूप से गाने, शायरी और बाजा भी चलता रहा।

  आज देश फिर एक मुकाम पर खड़ा है। जहाँ किसी को अमेठी में युवराज का हारना कलंक लग रहा। जहाँ किसी को तीन लाख वोट से जीती प्रज्ञा चुभ रही। जहाँ कन्हैया का 4 लाख वोट से हारना ।
 
       इन्हें देश के विवेक पर शक है। इन्हें बड़ा गुस्सा है कि भई इस देश की जनता हमसे अलग कैसे सोच सकती है। जब हमने कहा कि फलाना नेता गलत है तो है। जब हमने कहा फलाना आदमी देवता है तो है।

   इनके लिए संविधान में संशोधन होना चाहिये। चुकी हर नागरिक को समान वोट अधिकार मिलने से वह गलत सरकार चुन लेती है इसलिये सिर्फ इसलिये इन्हें अधिक वोट करने का अधिकार होना चाहिये।
पूरे देश का वोट एक तरफ और इन्हें कोई वीटो की तरह कुछ । हर चुनाव, हर क्षेत्र में परिणाम बदल सकें।

क्योंकि जनता तो मूर्ख है।

जिन्होंने 47 में यह कहा कि जनता मूर्ख है , और हमे इस पर यकीन नही। उनसे हमारे नेताओं ने कहा - जिन्हें ऐसा लगता है  , उन्हें अलग मुल्क मिलना चाहिये।

आपके पास मुल्क है। जहां की जनता मूर्ख नही है। जहां का प्रधानमंत्री स्टेट्समैन है, जहाँ हिन्दू आतंकवाद नही है। gst नही है। स्वच्छ भारत अभियान नही है।

आपको वहाँ जाने पर विचार करना चाहिये। हम कलंकित लोगो का देश आपके रहने लायक नही रह गया।

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