महिलाओं के हिस्से एक तमगा है कि उन्हें क्या चहिये ये कोई नही जान सकता।
मेरा इस तमगे से कोई समर्थन नही ।
क्योंकि मेरा मानना है कि महिलाओं को भी वही चाहिए जो एक इंसान को। शारिरिक जरूरतें, मानसिक शांति , समाजिक सम्मान और अधिकार।
पर फिर भी मैं पूछना चाहूँगा की तुम्हें क्या चाहिये। या कुछ चाहिये भी या नही।
अपनी दक्षिण की यात्रा में मुझे दो खूबसूरत चीजे लगी उनमें पहली है महिलाओं का गजरा और दूसरा महिलाओं का टैक्सी चलाना या बस कंडक्टर होना। तब मैंने उत्तर में ऐसा नही देखा था और ये मेरे लिए सुखद आश्चर्य था।
केरल जो सर्वाधिक साक्षर( शिक्षित नही) राज्य है । वहाँ पिछले दिनों सबरीमाला को लेकर बड़ा बवाल मचा हुआ था।
उसी केरल में कल से एक उत्सव चल रहा , एक ऐसे मन्दिर में जहाँ पुरुषों को जाना मना है।
उसी केरल में हजारों महिला कर्मियों को राज्य परिवहन ने नौकरी से यह कहते हुए निकाला कि फंड नही है।
विडम्बना यह है कि वहाँ मजदूरों के मसीहा कम्युनिस्टों की सरकार है।
उससे भी बड़ी विडंबना यह है कि महिलाओं की सैलरी कम है ।
अब फर्ज कीजिये कि अगर पुरुषों को नौकरी से निकाला जाता तो पुरूष इस मंदिर में जाने के लिये कोर्ट में मुकदमा करेंगे कि नौकरी के लिये।
अब मैं फिर पूछ रहा
महिलाओं तुम्हें क्या चाहिये।
क्या यहाँ आना मना है लिखकर तुम्हें फालतू की लड़ाई में उलझा सकते है क्या?
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